खो-खो खेल का इतिहास, नियम एवं मैदान, संक्षिप्त परिचय, टीम, खिलाड़ी, ताजा खबर, लक्ष्य, कोर्ट, इतिहास, नियम, मैदान, ग्राउंड, पेनल्टी कॉर्नर, आउटफिल्डर, वर्ल्ड कप, टॉस, गति, चपलता, रणनीति, स्कोरिंग, फ्री हिट, रेफरी, आय का स्रोत (Kho kho Game Rules, History and Brief Information in Hindi, latest news, history, rules, ground, penalty corner, world cup, court, history, rules, field, ground, penalty corner, outfielder, world cup, toss, speed, agility, strategy, scoring, free hit, Fault in Hockey, Referees, Source of Income)
खो-खो दुनिया का एक मशहूर खेल है और इस खेल को दुनिया के कई देशों में खेला जाता है | खो खो खेल का भारत के प्राचीन संबंध है क्योंकि खो खो भारत का एक स्वदेशी खेल है और इस खेल को सभी युवा बड़े ही पसंद के साथ खेलते हैं इस खेल को खेलने के लिए आपका शरीर तंदुरुस्त और चुस्त होना चाहिए तभी जाकर आप इस खेल को खेल पाएंगे ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल आता है कि खो खो खेल का इतिहास नियम कैसे खेलते हैं इस में कितने खिलाड़ी होते हैं खेल के नियम क्या होते हैं इन सब के बारे में अगर आप कुछ भी नहीं जानते हैं तो हमारा आर्टिकल पूरा पढ़े है क्योंकि इस आर्टिकल में हम आपको खो खो खेल से संबंधित पूरी जानकारी उपलब्ध करवाएंगे आई जानते हैं |
खो-खो खेल क्या है (Kho kho khel kya hai)
-खो एक लोकप्रिय भारतीय मैदानी खेल है | इस खेल में वही लोग सम्मिलित होते हैं जिनका शरीर तंदुरुस्त और स्वास्थ्य क्यों किया काफी संघर्षशील और फुर्तीला खेल है इसे खेलने के लिए आपका शरीर पूरी तरह से फिट होना चाहिए
खो-खो खेल का इतिहास (Kho kho Game History)
खो खो खेल का इतिहास काफी पुराना है 1914 में सबसे पहले खो खो खेल संबंधित नियम बनाए गए थे तभी से दुनिया में खो खो खेल का प्रचार और प्रसार शुरू हुआ भारत में खो खो खेल का शुरुआत गुजरात के बड़ौदा है जिसके बाद इस खेल को भारत के दूसरे राज्य महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश आदि प्रदेशों में अधिक खेला जाता है, लेकिन भारत के दूसरे राज्यों में इस खेल का प्रचार प्रसार सरकार के द्वारा किया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक युवाओं को इस खेल के पट्टे खेलने के लिए प्रेरित किया जा सके खो-खो की पहली प्रतियोगिता भारत के पुणे के जिम खाने में 1918 में आयोजित की गई थी | सन् 1919 में बड़ौदा के जिमखाने में भारतीय स्तर पर प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। तब से समय-समय पर इस खेल की अखिल भारतीय स्तर पर प्रतियोगिताएँ, होती रहती हैं।
खो-खो खेल का मैदान (Kho kho game play Ground)
खो-खो के मैदान का आकार आयताकार व उसकी लम्बाई व चौड़ाई 29×16 मीटर होती है।प्रत्येक लेन वर्गों की संख्या आठ होती है स्तंभ में प्रथम लेन 2.5 मीटर की, एक वर्ग की निकटतम दूरी 2.30 मीटर होता है क्रॉस लाइन की लंबाई और चौड़ाई16×30 मीटर होता है इसके अलावा केंद्र गली के द्वारा विभाजित होकर प्रत्येक parts 7.85 मीटर का होता है खो खो मैच में इनिंग के दौरान 4 और टीम में खिलाड़ियों की संख्या 5 होती है 6 अतिरिक्त प्लेयर भी इस खेल में रखे जाते हैं पोल की भूमि से ऊँचाई पुरुष 1.2 मीटर और महिलाओं महिला की 1 मीटर होता है जबकि पोल का व्यास पुरुष 10 से 11 सेमी., और महिला 8 से 9 सेमी. होता है इसके अलावा पोल की लाबियों सहित कुल क्षेत्र 33 21 मी. होना चाहिए। जूनियर्स तथा महिलाओं के लिए खेल का मैदान 27×16 मी. का होता है। वर्ग का आकार 30 x 30 सेमी. व कुल इनिंग्ज 4 होता है जिसमें 2 inginigs प्रत्येक टीम को दिया जाता है |
खो-खो खेल में कितने खिलाड़ी होते हैं (Kho-Kho kho me kitne players)
खो खो खो खेल में कुल मिलाकर 24 खिलाड़ी भाग लेते हैं और प्रत्येक टीम में 12 बड़ा खिलाड़ी खेलते हैं लेकिन उनमें से नौ खिलाड़ी मैदान पर और तीन बाहर अतिरिक्त के तौर पर बैठते हैं अगर किसी भी खिलाड़ी घायल हो जाए तो उसकी जगह पर उन्हें खेलने का मौका दिया जाता है |
खो-खो खेल की प्रमुख प्रतियोगिताए (Kho kho game tournament)
- नेहरू गोल्ड कप
- फेडरेशन कप
- राष्ट्रीय खो-खो चैंपियनशिप
- अंतर विश्वविद्यालय चैंपियनशिप
खो-खो खेल के नियम (Kho kho khel Rules)
- हर टीम में खिलाड़ियों की संख्या 12 होती है जिनमें से 9 खिलाड़ी खेलते हैं और तीन खिलाड़ी अतिरिक्त रूप में टीम में सम्मिलित आते हैं
- मैच toss के माध्यम से शुरू होता है और Toss जीतने वाली टीम फैसला करेगी कि उसे पहले लेजर अथवा रूर बनने का फैसला टॉस द्वारा किया जाता है।
- मैच में दोनों टीमों की 95-9 मिनट की दो पारियाँ होती हैं।
- अगर खेलते समय किसी खिलाड़ी को चोट लग जाए तो उसके स्थान पर अतिरिक्त खिलाड़ी उसका स्थान ले सकता है।
- विपक्षी टीम को रन आउट कर दिया जाता है तो उसे एक अंग मिलेगा
- दोनों पारी समाप्त होने के बाद से जिस टीम ने सबसे अधिक पॉइंट अर्जित किए हैं उसे विजय घोषित किया जाएगा
- प्रत्येक मैच में 4 पारियाँ होती है। दो पारियों छूने की और 2 पारियाँ दौड़ने की होती हैं
- पकड़ने वाली टीम होती है वो मैदान में रेखाओ में बैठती है, और इस प्रकार बैठते है की भागने वाले खिलाड़ी को कोई रूकावट ना हो।
- अब जों पकड़ने वाली टीम होती है उसका भागता हुआ रनर, किसी बैठे हुए खिलाड़ी के पीछे जाकर ऊंची आवाज़ में उसे “खो” देता है, और बैठा खिलाड़ी तुरंत पकड़ने के लिए भागने लगता है।
- कोई भी बैठा हुआ खिलाड़ी बिना ‘खो’ लिए उठकर भाग नहीं सकता।
- खो मिलने के बाद वह खिलाड़ी उठकर भागता है और उसकी जगह पर “खो” देने
- जैसे ही मैच की शुरुआत होती है तीन खिलाड़ी सीमा के अंदर होंगे और इन तीनों को आउट होने के पश्चात तीन खिलाड़ी पिन दोबारा से मैदान में सम्मिलित होंगे अगर खिलाड़ी लेट करते हैं तो उन्हें आउट घोषित किया जाएगा इसके अलावा अगर कोई खिलाड़ी अपना नंबर आए बिना खेल में प्रवेश करता है तो उसे भी यहां पर रेफरी के द्वारा आउट करा दिया जाएगा
- धावक और runer और समय से पहले अपनी पारी को समाप्त कर सकते हैं केवल धावक और अनंत टीम के कप्तान के अनुरोध पर अंपायर खेल को रोककर अपनी पारी की समाप्ति कर सकते हैं एक पारी के बाद 5 मिनट और 2 पारी के बीच में 9 मिनट का ब्रेक होता है
- मैच का परिणाम निकालने के लिए नॉकआउट यहां पर आयोजित होता है ताकि मैच का परिणाम निकल सके और अगर नॉकआउट के दौरान भी दोनों टीमों के स्कोर बराबर है तो फिर एक दूसरा पारी यहां पर खेला जाएगा इस स्थिति में यह जरुरी नहीं कि टीमों में वहीं खिलाड़ी हों।
- किसी कारण से मैच पूरा नहीं होता है तो मैच दूसरे समय पर खेला जाएगा लेकिन पिछले अंक यहां पर count नहीं होंगे |
- यदि किसी एक टीम के अंक दूसरी टीम से 12 या उससे अधिक हो जाएं तो पहली टीम दूसरी टीम को धावक के रूप में पीछा करने को कह सकती है। यदि दूसरी टीम इस बार अधिक अंक प्राप्त कर ले तो भी उसका धावक बनने का अधिकार बना रहता है।
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खो-खो खेल कैसे खेलते है ?
खो-खो का मैच दो दलों के बीच खेला जाता है और इन दलों में खिलाड़ी एक दूसरे के विरुद्ध दिशाओं की ओर मुँह करके अपने अपने नियमित स्थान पर बैठ जाते हैं। इस खेल में हर टीम में 12 खिलाड़ी होते हैं और उनमें से 9 खिलाड़ी पिच पर खेलने उतरते हैं। हर टीम को एक-एक पारी के लिए सात मिनट दिए जाते हैं और नियमित समय में उस दल को अपनी पारी समाप्त करनी पड़ती है।
वहीं दोनों दलों की ओर से एक-एक खिलाड़ी खड़ा होता है, और सीटी बजते ही पीछा करने वाले दल का खिलाड़ी विपक्षी दल के खिलाड़ी को पकड़ने के लिए दौड़ता है। वहीं विपक्षी दल का खिलाड़ी पंक्ति में बैठे हुए खिलाड़ियों का चक्कर लगाता है। उसी वक्त जब पीछा करने वाला खिलाड़ी भागने वाले खिलाड़ी के निकट आता है, तब वह अपने दल के खिलाड़ी के पीछे जाकर ‘खो-खो’ शब्द बोलकर उसे उठकर भागने का इशारा करता है और पीछा करने वाला खिलाड़ी पहले को छोड़कर दूसरे का पीछा करने लगता है। यदि युवा भागने वाले खिलाड़ी को छू लेता है तो उस पर टीम को एक अंक प्राप्त होगा इस तरीके से खो खो का खेल खेला जाता है ऐसे में मैच का परिणाम प्राप्त अंकों के आधार पर होता है जो टीम सबसे अधिक अंक प्राप्त करेगी उसे यहां पर विजेता घोषित किया जाएगा और अगर दोनों टीमों के अंक बराबर हैं तो और भी एकत्रित यहां पर पारी चली जाएगी उस पारी से मैच का परिणाम घोषित किया जाएगा
खो-खो खेल से जुड़े कुछ प्रश्न उत्तर (Kho kho khel FAQ)
Q. खो खो मैच का टाइम कितना होता है?
Ans. सभी मैच में चार पारियों में खेला जाता है। प्रत्येक पारी 7 मिनट की होती है। सभी खेलने वाली टीम 2 पारियों में बैठती है तथा दो पारियों में भागती है। जैसा हम जानते बैठने वाले टीम के खिलाड़ी मेजर और भागने वाले खिलाड़ी रनर कहलाते हैं।
Q. एक रनर के आउट होने पर कितने अंक मिलते हैं?
Ans. दौड़ने वाले टीम के प्रत्येक रनर के out होने पर 1 अंक मिलेगा।
Q. खो खो में कितने पोल होते हैं?
Ans. किसी भी खो खो खेलने वाले ग्राउंड के दोनों किनारों पर 2 पोल लगाए जाते हैं। ये जो पोल होते है उनकी उचाई 120cm होती है
Q. खो खो खो खेल में कौन-कौन से अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं?
Ans. अधिकारी / Officials
मैच के प्रबंध के लिए निम्न अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं।
दो अंपायर
एक रेफ़री
एक टाइम – कीपर
एक स्कोरर
Q. खो खो का प्राचीन नाम क्या है?
Ans. विशेषज्ञों का मानना है कि खो-खो की उत्पत्ति भारत के महाराष्ट्र राज्य में हुई थी और प्राचीन काल में इसे रथों पर खेला जाता था और इसे राथेरा कहा जाता था।
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